वफ़ा ना रास आईं..... 💔 (2)
दहेज.....उस समय में लड़की वालों के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द यहीं था....। दिप्ती की बड़ी बहन के लिए तो फिर भी जैसे तैसे करके इसका बंदोबस्त कर दिया... लेकिन अब बारी दिपु की थीं... उसके लिए दहेज़ कहाँ से आए....। दिपु की माँ इस रिश्ते को किसी भी किमत पर छोड़ना नहीं चाहतीं थीं.... उसके कुछ मुख्य कारण भी थे..... जिसमें सबसे पहला कारण उनका कैंसर था....। बड़ी बेटी की शादी के कुछ समय बाद ही उनको इस बिमारी ने जकड़ लिया था....।
दूसरा कारण दिपु का बिल्कुल साधारण सा दिखना था...।
तीसरा कारण रिश्ता उनकी बहन ने ही भेजा था जो उनपर लगातार प्रेशर बना रहीं थीं की ना नहीं करनी हैं...।
चौथा उनकी दूसरी बहनों और रिश्तेदारों का लगातार ये कहना की दिपु को तो कोई अंधा भी मिले तो करवा देना.... उसके जैसी लड़की कोई आंख वाला तो पसंद नहीं करेगा...।
रिश्तेदारों की बोली गई... एक एक बात दिपु की माँ के जहन में बैठ चुकी थीं... इसलिए वो इस रिश्ते को हाथ से जाने नहीं देना चाहतीं थीं....। अब बड़ी बेटी को उस समय एक लाख दिया था तो छोटी के लिए इतना तो देना ही था.... पर पैसे आए कहां से....। यहीं चिंता उन्होंने अपने पति से भी कहीं थीं... जिसके जवाब में दोनों के बीच कहासुनी हो गई थीं... इसी कहासुनी में दिपु के पिता की कही एक बात दिपु के कानों में भी पड़ गई थीं.... दोनों के बीच दहेज की रकम को लेकर हो रहीं बात पर दिपु के पिता ने कहा था की..... ये तो हैं ही शुरू से मनहूस.... बड़ी वाली हमारे घर की लक्ष्मी थीं... जबसे वो गई... तबसे तेरी सेहत खराब हो गई....। मुझे इसकी शक्ल से नफरत हैं... मेरे पास इसको देने के लिए एक रुपया नहीं हैं... रिश्ता तेरी बहन ने भेजा हैं... जैसे चाहिए वैसे कर... पर इसको इस घर से निकाल.... ये जाएगी ओर हमारे घर फिर से बरकत आ जाएगी...।
ये ही बात उस दिन दिपु ने सुन ली थीं.... जिसके बाद मना करने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता...।
दिपु ने अपनी तरफ से इस घर को संभालने और संवारने में हर मुमकिन कोशिश की थीं....। माँ की बिमारी के बाद पढ़ाई के साथ साथ... ट्युशन क्लासेस चलाना हो या देर रात तक सिलाई का काम करना हो या छोटे भाइयों की देखभाल उनकी पढ़ाई का खर्चा हो.... या घर का सारा काम हो या माँ की देखभाल हो...। सब कुछ बहुत छोटी उम्र में उसने अपने कंधों पर ले ली थीं....। लेकिन उसके पिता ही अगर उसके बारें में ऐसा सोचते हैं तो वो किसी ओर से शिकायत क्या ही रखें...।
लेकिन इन उदास भरे दिन और काम की थकान में कुछ लम्हें ऐसे आए जो शायद दिपु को जिंदगी भर याद रहने वाले थे...। ये अच्छे थे या बुरे ये फैसला दिपु भी नहीं कर पाएगी कभी....।
बात उसके कोलेज की हैं.... पता नहीं विवेक ने दिपु में ऐसा क्या देखा था जो उसने उसे प्रपोज कर दिया....।
विवेक..... दिपु की ही क्लास का छात्र था....।
दिखने में बिलकुल साधारण सी और बिना मेकअप की दिपु में ना जाने विवेक को क्या दिख गया...।
दिपु ने पहले तो डर की वजह से मना कर दिया.... लेकिन विवेक लगातार उसके पीछे लगा रहा...। कुछ दिनों की ना नुकुर के बाद दिपु ने उससे दोस्ती कर ली...।
इस एक डेढ़ हफ्ते चलीं इनकी दोस्ती ने दिपु की जिंदगी में कुछ रंग भर दिये थे..। लेकिन वो इस बात से बिल्कुल अंजान थीं की विवेक का असली मकसद क्या था...।
दिपु कहीं ना कहीं विवेक से बहुत ज्यादा उम्मीदें लगा बैठी थीं... कहते हैं ना की प्यासे को अगर एक बुंद पानी की मिल जाएं तो वो उसके लिए कुछ भी कर गुजरता हैं.....वैसे ही प्यार के लिए तरसते इंसान से कोई दो लब्ज़ मीठे बोल दे तो वो अपनी सुधबुध खो देता हैं... ऐसा ही दिपु के साथ भी हुआ...।
जहां एक ओर दिपु विवेक के प्यार में पर चुकी थीं... वहीं विवेक दोस्तों के साथ मिलकर उसकी अस्मत से खेलने का प्लान बना रहा था.... लेकिन इसे ऊपरवाले का चमत्कार ही कहीये की दिपु को समय रहते इस बारें में पता चल गया.... ओर सच सामने आने पर वो विवेक से दूर हो गई...। उसके बाद परिवार की परेशानियों के चलते उसे कोलेज भी आधे में ही छोड़ना पड़ा....।
दिपु... विवेक से दूर भले ही हो गई थीं.... पर वो विवेक को दिल से कभी भूला नहीं पाई...। उसकी जिंदगी का शायद वो पहला शख्स था... जिसे दिपु ने दिल से अपना माना था... । वो अंदर ही अंदर टुट चुकी थीं....। इसलिए उसने अपने होने वाले रिश्ते के लिए एक बार भी नहीं सोचा...। लड़का कैसा होगा... क्या करता होगा.... परिवार कैसा होगा.... उसे इन सबसे कोई मतलब नहीं था... वो अपने पिता की कही बातों को जहन में बिठा चुकी थीं की ये हैं ही मनहूस....इसके जातें ही हमारे अच्छे दिन लौट आएंगे... बस इन्हीं बातों को बार बार याद करतीं ओर चेहरे पर एक हल्की सी मुस्कान लेकर.... भगवान से कहतीं.... काश ऐसा ही हो....।
खैर जिंदगी की इन कठिन राहों से गुजरते हुए वो दिन भी आया जब लड़के वाले दिपु को देखने आए...।
लड़के वाले गुजरात से आए थे... और दिपु रहतीं थीं राजस्थान में...।
सफर की दूरी सभी के चेहरे से साफ़ दिख रही थीं...।
घर आने से पहले ही लड़के वालों ने दिपु की मासी...जो उनके घर के पास ही रहती थीं.. उनके लैंडलाइन फोन पर दिपु की मम्मी को समय का अंदाज़ा दे दिया था...।
इसलिए दिपु की मम्मी ने सारी तैयारियां करके रखीं थीं...।
कुल पांच छ लोग आए थे...। जिसमें लड़के के अलावा, उसकी माँ, उसकी बुआ जो राजस्थान में ही रहतीं थीं... लड़के की बुआ का बेटा और उसका दामाद साथ आए थे....।
दिपु की माँ का तो लड़का पहले देखा हुआ था... क्योंकि वो अपनी बहन के घर कुछ वक्त पहले रहीं हुई थीं...। लेकिन दिपु पहली बार लड़के से मिलने वाली थीं... हालांकि उसके पास ना का कोई ओप्शन नहीं था... पर फिर भी एक लड़की के अपने जीवनसाथी को लेकर हजारो सपने होतें हैं...। मन में चल रही ऐसी उथलपुथल तो उस वक्त दिपु के भी चल रहीं थीं...।
कुछ वक्त आराम करने और फ्रेश होने के बाद लड़के लड़की के देखने का समय आया....।
हाथों में नाश्ते की कुछ प्लेटें लेकर दिपु को रसोई से उसकी बहन अंकिता के साथ कमरे में लाया गया...।
नजरें झुकाती हुई.... कांपती हुई... सहमती हुई.... दिपु धीरे धीरे कमरे में आई....। लेकिन उसकी हिम्मत नहीं हुई की वो नजर उठाकर लड़के को देखें...।
दिपु के कमरे में आने पर लड़के की माँ ने उसे पलंग के सामने रखी कुर्सी पर बैठने को कहा...।
कुर्सी के सामने पलंग पर लड़का, उसकी बुआ का बेटा और दामाद तीनों लाइन से बैठे थे...।
पलंग के एक तरफ़ लड़के की माँ और बुआ और दूसरी तरफ़ दिपु के पेरेंट्स और अंकिता और उसकी मम्मी बैठी थीं....।
दिपु अभी भी नजरें झुका कर बैठी थीं....। उसके जहन में हजारों तरह की बातें चल रहीं थीं की कहीं लड़के वालों ने उसे रिजेक्ट कर दिया तो, दहेज कितना मांगेंगे, दहेज का पैसा कहां से आएगा....... वगैरह वगैरह...।
वो अपने ही ख्यालों में खोई थीं की एक कड़क आवाज उसके कानों में आई की गर्दन उपर कर ....तो मेरे लड़के को कुछ दिखे भी...।
आवाज सुन कुछ पल के लिए तो दिपु सहम गई....। क्योंकि उस आवाज में कड़कपन ही इतना था.....। डरते डरते ही उसने अपनी गर्दन थोड़ी ऊपर की...। लेकिन नजरें अभी भी जमीन पर टिकी हुई थीं...। कुछ क्षणों की खुसरफुसर के बाद लड़के की बुआ बोली....।
आप लोग खाने का इंतजाम करो....। तब तक हम आपस में विचार करते हैं...।
आखिर क्या फैसला लेने वाले थे...?
क्या अब दिपु की जिंदगी में कुछ बदलाव आएगा..?
जानने के लिए अगला भाग पढ़े.... दिपु की जुबानी....।
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Sushi saxena
14-Feb-2024 06:26 PM
Very nice
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Varsha_Upadhyay
11-Feb-2024 06:36 PM
Nice
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Gunjan Kamal
11-Feb-2024 12:07 AM
👏👌
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